Friendship Poem in Hindi Dosto KI Dosti तुम थे तो क्या बात थी
दोस्तो की दोस्तीतुम थे तो क्या बात थी
हाँ, जब तुम थे तो क्या बात थी
क्या दिन थे वो
जब तुम चुपके से आकर मुझे डरा देते थे
ओर फिर मैं झुंझलाया करतीं थी
ऐ दोस्त सच ,
तुम थे तो क्या बात थी
ज़िंदगी आज भी मज़ेदार है,
पर रंगिनिया कहा अब ,
वो दिन भर गप शप
और चाय की चुस्किया
अब कहां,
ऐ दोस्त, तुम थे तो क्या बात थी
इस तरह मशरूफ़ हैं सब
जैसे इंसान नही मशीन हो
वो अब घंटों तक बगीचे मैं बैठना
और एक दूसरे को छेडना
अब कहां
ऐ दोस्त, तुम थे तो क्या बात थी
समय ने बदल डाले मायने
पहले अपने लिये जीते थे
अब अपनो के लिये जीते हैं
चलो दोस्तो आज फिर से जीते हैं
एक छोटा सा पल अपने लिये रखते हैं
आज फ़िर बेकार की बातो पर हँसते हैं
चलो आज फ़िर जीते हैं
क्युकि
तुम थे तो क्या बात थी
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